Friday, March 30, 2012

उम्मीद- ए - अभिलाषा

अपने हर लफ़्ज़ों को पन्नो पे उतार नहीं सकता,
हसी के मुखोटे से हर वक़्त अपने गमो को उभार नहीं सकता,
दुनिया का येही उसूल है धूप और छाओं सबके बराबर के रसूल है,
जब जब में दो कदम चला, ज़िन्दगी मुझसे चार कदम आगे निकली, 
ज़िन्दगी मेरी हसी पे हैरान होती रही, और ये कारवां चलता रहा
मुझे यकीन है एक पल रुक कर, बीतें सफ़र में झाँक कर फिर अपने कदम बदाऊंगा 
दरिया में बहना और हवाओ से लड़कर गमो से उभरकर मुस्कुराना सीख जाऊंगा 
और फिर इक दिन शायद अपने दिल की बात को लफ़्ज़ों पे ला पाऊंगा ......

जीवन के संघर्ष में

जीने के लिए इक खुशनुमा वजह तलाश कर रहा हु
अपने अतीत में झाँक कर अपना भविष्य बदलने की कोशिश कर रहा हु में
मंजिल पाने के लिए भटका ही सही, घर में रहकर मंजिल से गुमराह नहीं हु में
दर्द-ए-गम से तो ज़िन्दगु भर की साँझ है, कुछ पल खुशियों के समेत के आगे बढ़ रहा हु में
भविष्य के रुख को परखना मेरे बस में नहीं, आज की आदतें बदलके आने वाले को को बेहतर करने की उम्मीद कर रहा हु में,
हर ठोकर से उभरकर, ज़र्रो से रेगिस्तान बनाना सीख रहा हु में
तमन्ना पूरी करने के लिए तमन्ना को तलाश कर रहा हु में
जीवन के संघर्ष में, जीवन को नई राह देने की कोशिश कर रहा हु में.....

बीतें लम्हे

दिल में पुरानी यादें धीरे धीरे गदति जा रही है
गहराइयों में छुपी हुई तसवीरें धुंदली पड़ती जा रही है
लबों से मुस्कान और ज़िन्दगी से ख़ुशी कोसो दूर हो गई
अब तो लगता है ये कमबख्त मनं बी अपना ना रहा,
बीता हुआ कल, दिल में बसी यादें..और आज सिर्फ ये तन्हाई,
अब तो ये आलम है की हाल-ए-दिल बयान करने के लिए लफ्ज़ नहीं, 
दिल चाहता है की फिर अपने बचपन में लौट जाऊ
वक़्त को पीछे मोड़ के उनमे समां जाऊ 
माँ का प्यार, यारों की यारी, वो मुस्कुराते हुए पल
सहारा था दिल का आज उस सहारे को देखने के लिए दिल तरस जाता है....

आज फिर दिल ने कुछ महसूस किया

आजकल सब बदला बदला सा लगता है
जो कभी किया नहीं वो करने का मन करता है
ज़िन्दगी ने सिखाया इस तरह अपनों से दूर रहना 
अब तो अपनों के पास होना बी दूर  सा लगता है
आज फिर लफ़्ज़ों से खेलकर हाल-ए-दिल बयान किया
किसी की याद आई तो इन पंक्तियों ने जनम लिया
आज फिर दिल ने कुछ महसूस किया ....