Friday, March 30, 2012

जीवन के संघर्ष में

जीने के लिए इक खुशनुमा वजह तलाश कर रहा हु
अपने अतीत में झाँक कर अपना भविष्य बदलने की कोशिश कर रहा हु में
मंजिल पाने के लिए भटका ही सही, घर में रहकर मंजिल से गुमराह नहीं हु में
दर्द-ए-गम से तो ज़िन्दगु भर की साँझ है, कुछ पल खुशियों के समेत के आगे बढ़ रहा हु में
भविष्य के रुख को परखना मेरे बस में नहीं, आज की आदतें बदलके आने वाले को को बेहतर करने की उम्मीद कर रहा हु में,
हर ठोकर से उभरकर, ज़र्रो से रेगिस्तान बनाना सीख रहा हु में
तमन्ना पूरी करने के लिए तमन्ना को तलाश कर रहा हु में
जीवन के संघर्ष में, जीवन को नई राह देने की कोशिश कर रहा हु में.....

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