Friday, March 30, 2012

बीतें लम्हे

दिल में पुरानी यादें धीरे धीरे गदति जा रही है
गहराइयों में छुपी हुई तसवीरें धुंदली पड़ती जा रही है
लबों से मुस्कान और ज़िन्दगी से ख़ुशी कोसो दूर हो गई
अब तो लगता है ये कमबख्त मनं बी अपना ना रहा,
बीता हुआ कल, दिल में बसी यादें..और आज सिर्फ ये तन्हाई,
अब तो ये आलम है की हाल-ए-दिल बयान करने के लिए लफ्ज़ नहीं, 
दिल चाहता है की फिर अपने बचपन में लौट जाऊ
वक़्त को पीछे मोड़ के उनमे समां जाऊ 
माँ का प्यार, यारों की यारी, वो मुस्कुराते हुए पल
सहारा था दिल का आज उस सहारे को देखने के लिए दिल तरस जाता है....

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