Wednesday, April 4, 2012

एक अधूरा ख्वाब.........

एक दिन उनसे प्यार का इकरार हो, ऐसी है इस दिल की आरज़ू,
कोई हो जिनसे दिल की बातें इज़हार हो, जिनसे हो ऐसी गुफ्तगू.
ताकती है राहें, ऐसी निगाहें, जिन निगाहों में सिर्फ हमारे लिए प्यार हो..
कभी वो हमसे नाराज़ हो तो कभी हमसे प्यार करे,,
नाराज़ ही सही, कभी उस नाराज़गी में बी हमसे प्यार करें..
कभी वो हमसे कभी हम उनसे इश्क-ऐ-इज़हार करें,,
कभी हम जाकर कभी वो आकर, इक दूजे की तनहइयो को निजात करें,
सोचता हू कही दूर हमारे लिए कोई ऐसा भी होगा....
जो इसी तरह हमारा भी इंतज़ार करता होगा..
इन ख्वाबों के अंजुमन में बस रहती है एक ही तमन्ना,
कि एक दिन ख्वाबों से निकलकर वो हमसे हकीकत में मिले ......

2 comments:

  1. Kis ke liye likhi hai ye kavita? Lyricist ban ja jaldi se :D Bollywood calling :D

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  2. apne lie likhi...cnt u get tht frm title...dream me jo b ho haqeeqat me its a .long distant unfulfilled dream :P Thnx :)

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